सफलता के 3 गुरु-मंत्र:
सफलता के 3 गुरु-मंत्र:
1⃣ ख़ुद को समझना:
यदि आपको ये नहीं पता की
आप किस काम में ज़्यादा अच्छे है
और किस में कम, तो सफलता
पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता हैं।
2⃣ धैर्य रखना:
लोगों की सबसे बड़ी Problem है कि,
ज़्यादातर लोग रातों-रात
सफलता पाना चाहते है जबकि
सफलता के लिए धैर्य ज़रूरी है।
3⃣ फ़ालतू बातें Ignore करना:
लोग आपके बारे में क्या कहते है,
इन बातों पर ध्यान मत दीजिए क्योंकि
ज़्यादातर लोग आपको ख़ुद से आगे
बढ़ते देखना नहीं चाहते।
शस्त्र केवल शरीर को
घायल कर सकते है,
किन्तु शब्द आत्मा को भी
घायल कर देते है,
कोशिश करें अच्छा बोलें...
अच्छा सुनें...
अच्छा व्यवहार करें...
जय श्री कृष्ण🙏
प्रेम हो तो ऐसा...
यदि तुम संसारी लोगों पर 99 उपकार करो पर उनका एक नुकसान कर दो तो वे तुम्हारा मुंह भी देखना पसंद नहीं करेंगे।
परन्तु ईश्वर के समक्ष यदि तुम 99 अपराध करो पर 1 कार्य उनकी पसंद का करो तो वे तुम्हारे सब अपराध माफ़ कर देंगे।
मनुष्य के प्रेम में और भगवान् के प्रेम में जमीन आसमान का अंतर है।
अपने आस पास के लोगो को देखकर एक बात समझ आती है की ज्यादातर मामलों में पैसे की कमी दुख का कारण नहीं है, बल्कि पैसे का सही मैनेजमेंट न होना ही दुख का सबसे बड़ा कारण है।
अगर इंसान के पास 50 हजार है तो वो किश्तों से 2 लाख का मोबाइल लेता है। अगर 5 लाख है तो किश्तों से 20 लाख की गाड़ी लेता है, और ब्याज के ऐसे चक्रव्यूह में फंस जाता है की निकलना मुश्किल प्रतीत होता है। हालांकि ये सिर्फ एक चीज पर लागू हो तो फिर भी ठीक है लेकिन इतना सब होने के बाद भी इंसान बार बार इसी चीज को दोहराता है।
अंततः खुद को गले तक कर्ज के फंसा हुआ पाता है। कर्ज बहुत जरूरत हो तो लेना उचित है, लेकिन व्यर्थ शौक पूरे करने के लिए कर्ज लेना अंततः बड़ी मुसीबत का कारण बनता है। आप क्या सोचते हो इस बारे में, जवाब दे कर बताए। मैंने रिप्लाई का ऑप्शन ऑन किया हुआ है यहां।
घायल कर सकते है,
किन्तु शब्द आत्मा को भी
घायल कर देते है,
कोशिश करें अच्छा बोलें...
अच्छा सुनें...
अच्छा व्यवहार करें...
जय श्री कृष्ण
प्रेम हो तो ऐसा...
यदि तुम संसारी लोगों पर 99 उपकार करो पर उनका एक नुकसान कर दो तो वे तुम्हारा मुंह भी देखना पसंद नहीं करेंगे।
परन्तु ईश्वर के समक्ष यदि तुम 99 अपराध करो पर 1 कार्य उनकी पसंद का करो तो वे तुम्हारे सब अपराध माफ़ कर देंगे।
मनुष्य के प्रेम में और भगवान् के प्रेम में जमीन आसमान का अंतर है।
अपने आस पास के लोगो को देखकर एक बात समझ आती है की ज्यादातर मामलों में पैसे की कमी दुख का कारण नहीं है, बल्कि पैसे का सही मैनेजमेंट न होना ही दुख का सबसे बड़ा कारण है।
अगर इंसान के पास 50 हजार है तो वो किश्तों से 2 लाख का मोबाइल लेता है। अगर 5 लाख है तो किश्तों से 20 लाख की गाड़ी लेता है, और ब्याज के ऐसे चक्रव्यूह में फंस जाता है की निकलना मुश्किल प्रतीत होता है। हालांकि ये सिर्फ एक चीज पर लागू हो तो फिर भी ठीक है लेकिन इतना सब होने के बाद भी इंसान बार बार इसी चीज को दोहराता है।
अंततः खुद को गले तक कर्ज के फंसा हुआ पाता है। कर्ज बहुत जरूरत हो तो लेना उचित है, लेकिन व्यर्थ शौक पूरे करने के लिए कर्ज लेना अंततः बड़ी मुसीबत का कारण बनता है। आप क्या सोचते हो इस बारे में, जवाब दे कर बताए। मैंने रिप्लाई का ऑप्शन ऑन किया हुआ है यहां।
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